Gyanesh Kumar election commissioner: ज्ञानेश कुमार: चुनाव आयोग नेतृत्व में एक नया युग

17 फरवरी 2025 को, ज्ञानेश कुमार को भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) के रूप में नियुक्त किया गया, जो देश के चुनावी इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। उनकी नियुक्ति न केवल उनके व्यापक अनुभव और योग्यताओं के लिए उल्लेखनीय है, बल्कि इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वह चुनाव आयोग (EC) के सदस्यों के चयन को नियंत्रित करने वाले एक नए कानून के तहत नियुक्त होने वाले पहले CEC हैं। यह ब्लॉग ज्ञानेश कुमार के जीवन, करियर और भविष्य की जिम्मेदारियों पर प्रकाश डालता है, जो भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में कुछ सबसे महत्वपूर्ण चुनावों की देखरेख करेंगे।

Early Life and Education: प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

ज्ञानेश कुमार की यात्रा एक मजबूत शैक्षिक पृष्ठभूमि के साथ शुरू हुई। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), कानपुर से सिविल इंजीनियरिंग में बी.टेक पूरा किया। उनकी ज्ञान की प्यास यहीं नहीं रुकी; उन्होंने आगे चलकर भारत में ICFAI से व्यवसाय वित्त और अमेरिका में हार्वर्ड इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (HIID) से पर्यावरण अर्थशास्त्र की पढ़ाई की।

Professional Journey: पेशेवर यात्रा

ज्ञानेश कुमार की प्रशासनिक सेवा यात्रा उल्लेखनीय पदों और जिम्मेदारियों से भरी रही है। वह केरल कैडर के 1988 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी हैं। उन्होंने एर्नाकुलम के सहायक कलेक्टर, अडूर के उप-जिलाधिकारी, केरल राज्य विकास निगम के प्रबंध निदेशक, और कोचीन नगर निगम आयुक्त जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया।

केंद्रीय स्तर पर, उन्होंने रक्षा मंत्रालय में संयुक्त सचिव, गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव और अतिरिक्त सचिव, और संसदीय कार्य मंत्रालय तथा सहकारिता मंत्रालय में सचिव के रूप में सेवाएं दीं। विशेष रूप से, उनकी गृह मंत्रालय में भूमिका महत्वपूर्ण रही, जहां उन्होंने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले के कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

Appointment as Chief Election Commissioner: मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्ति

17 फरवरी 2025 को विधि मंत्रालय द्वारा ज्ञानेश कुमार की मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्ति की घोषणा की गई। वह 19 फरवरी 2025 को पदभार ग्रहण करेंगे और राजीव कुमार का स्थान लेंगे। उनका कार्यकाल 26 जनवरी 2029 तक रहेगा, जो अगले लोकसभा चुनावों की घोषणा से ठीक पहले समाप्त होगा।

उनकी नियुक्ति ऐतिहासिक है क्योंकि वह चुनाव आयोग के सदस्यों के चयन से जुड़े नए कानून के तहत नियुक्त होने वाले पहले CEC हैं। यह कानून अगस्त 2023 में लागू हुआ था, जिसने CEC और चुनाव आयुक्तों (ECs) के चयन प्रक्रिया में बदलाव किया। इस कानून के तहत, राष्ट्रपति प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय मंत्री की सिफारिशों के आधार पर CEC और ECs की नियुक्ति कर सकते हैं। इस प्रक्रिया में पहले शामिल भारत के मुख्य न्यायाधीश को हटाकर एक केंद्रीय मंत्री को शामिल किए जाने से इस कानून की पारदर्शिता को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ है।

Responsibilities and Challenges Ahead: आगामी जिम्मेदारियाँ और चुनौतियाँ

26वें मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में, ज्ञानेश कुमार कई महत्वपूर्ण चुनावों की देखरेख करेंगे। इनमें इस साल के अंत में बिहार विधानसभा चुनाव, और 2026 में केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी के विधानसभा चुनाव शामिल हैं। उनकी भूमिका इन चुनावों को सुचारू रूप से संपन्न कराने, चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता बनाए रखने और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने में अहम होगी।

उनकी सबसे बड़ी चुनौती चुनाव आयोग के सदस्यों के चयन से जुड़े नए कानून के क्रियान्वयन की होगी। विपक्षी दलों ने इस कानून की स्वतंत्रता और पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं। विशेष रूप से, सुप्रीम कोर्ट इस कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर 19 फरवरी 2025 को सुनवाई करेगा, जो ज्ञानेश कुमार के पदभार ग्रहण करने के दिन ही होगी।

Legacy and Impact: विरासत और प्रभाव

ज्ञानेश कुमार की मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्ति उनके व्यापक अनुभव, समर्पण और लोक सेवा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उनके राज्य और केंद्र सरकार दोनों स्तरों पर किए गए महत्वपूर्ण योगदानों ने उन्हें इस भूमिका के लिए पूरी तरह तैयार किया है।

उनका कार्यकाल न केवल उन चुनावों के लिए महत्वपूर्ण होगा जिनकी वे देखरेख करेंगे, बल्कि इस पर भी कि वह चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और पारदर्शिता बनाए रखने में कितने सफल रहते हैं। उनका नेतृत्व भारतीय लोकतंत्र की निष्पक्षता और चुनावी प्रक्रिया की अखंडता को सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

Conclusion: निष्कर्ष

ज्ञानेश कुमार की यात्रा एक IAS अधिकारी से भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त बनने तक की एक प्रेरणादायक कहानी है। उनकी व्यापक प्रशासनिक विशेषज्ञता और योग्यता उन्हें इस महत्वपूर्ण भूमिका के लिए उपयुक्त बनाती है। जैसे ही वह अपने नए दायित्वों को संभालते हैं, उनका नेतृत्व यह सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाएगा कि चुनाव निष्पक्ष, पारदर्शी और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के अनुरूप संपन्न हों। उनका कार्यकाल भारतीय चुनावी प्रक्रिया पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ेगा और देश के लोकतंत्र के भविष्य को आकार देगा।

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