आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आगामी विधानसभा चुनावों से पहले दिल्ली के वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक नई स्वास्थ्य योजना की घोषणा की है। इस योजना का नाम ‘संजीवनी योजना’ रखा गया है। इस योजना के तहत, 60 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों को सरकारी और निजी अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा मिलेगी।
संजीवनी योजना: बुजुर्गों के लिए मुफ्त इलाज का वादा
अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को घोषणा करते हुए कहा, “इस योजना में इलाज के खर्च की कोई सीमा नहीं होगी। रजिस्ट्रेशन एक-दो दिनों में शुरू होगा। हमारे कार्यकर्ता आपके घर आकर रजिस्ट्रेशन करेंगे और आपको एक कार्ड देंगे। इस कार्ड को संभालकर रखें। चुनाव जीतने और सरकार बनने के बाद यह योजना लागू होगी।”
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने इस योजना के बारे में बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना में कई खामियां हैं और दिल्ली सरकार ने इन खामियों को दूर करके एक बेहतर योजना तैयार की है।
आयुष्मान भारत योजना पर AAP और BJP का टकराव
यह घोषणा तब आई है जब केंद्र की आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) को दिल्ली में लागू न करने को लेकर बीजेपी और आप के बीच विवाद चल रहा है। बीजेपी के सात सांसदों ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दिल्ली सरकार को यह योजना लागू करने के निर्देश देने की मांग की थी।
हाईकोर्ट ने 27 नवंबर को दिल्ली सरकार से इस पर जवाब मांगा और कहा कि योजना को लेकर प्रशासन के भीतर मतभेदों को सुलझाया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री आतिशी ने इसके बाद स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिया कि वे ऐसी प्रणाली बनाएं, जिससे आयुष्मान भारत योजना के लाभ दिल्ली की मुफ्त स्वास्थ्य सेवाओं में शामिल किए जा सकें। उन्होंने कहा, “हम किसी भी दिल्लीवासी को मुफ्त चिकित्सा सेवाओं से वंचित नहीं करना चाहते। आयुष्मान भारत योजना के लाभों को शामिल करते हुए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी व्यक्ति मौजूदा सुविधाओं से वंचित न हो।”
बीजेपी और कांग्रेस ने इसे बताया चुनावी स्टंट
इस घोषणा के बाद बीजेपी और कांग्रेस ने इसे “राजनीतिक स्टंट” बताते हुए आलोचना की। दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा, “केजरीवाल पिछले 10 वर्षों से दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक और सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज और जांच की बात कर रहे हैं। अगर यह सही है तो अब बुजुर्गों को गुमराह क्यों कर रहे हैं?”
सचदेवा ने यह भी आरोप लगाया कि यह वादा केवल चुनाव जीतने के लिए किया गया है। उन्होंने कहा, “केजरीवाल जादूगर नहीं, बल्कि झूठ बोलने के मास्टर हैं। उनकी सरकार का वित्तीय हालात बहुत खराब है। महिला सम्मान योजना के लिए 1,000 रुपये प्रति महिला का वादा भी अभी तक पूरा नहीं हुआ है।”
दिल्ली सरकार की आर्थिक चुनौतियां
बीजेपी नेताओं ने सवाल उठाया कि इस योजना के लिए वित्तीय प्रबंधन कैसे होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए राष्ट्रीय लघु बचत निधि (NSSF) से 10,000 करोड़ रुपये उधार लेने की मांग की है। वित्त विभाग ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि यह कदम सरकार के लिए दीर्घकालिक वित्तीय बोझ बन सकता है।
बीजेपी नेता यशवंत यादव ने कहा, “दिल्ली के मतदाता अब जागरूक हो चुके हैं। वे केजरीवाल के अधूरे वादों को याद रखते हैं। उनकी यह नई मुफ्त सेवा का वादा जनता पर कोई प्रभाव नहीं डालेगा।”
संजीवनी योजना बनाम आयुष्मान भारत: क्या है अंतर?
दिल्ली सरकार की ‘संजीवनी योजना’ और केंद्र की ‘आयुष्मान भारत योजना’ के बीच कई अंतर हैं। आयुष्मान भारत योजना के तहत केवल आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज मिलता है। वहीं, संजीवनी योजना में 60 वर्ष से ऊपर के सभी नागरिक, चाहे उनकी आर्थिक स्थिति कैसी भी हो, को इलाज की सुविधा मिलेगी।
दिल्ली सरकार का कहना है कि आयुष्मान भारत योजना के दायरे में कई महत्वपूर्ण चिकित्सा सेवाओं को शामिल नहीं किया गया है, जबकि संजीवनी योजना में ऐसा कोई अपवाद नहीं होगा।
राजनीतिक विश्लेषण: चुनावी रणनीति या वाकई बदलाव की कोशिश?
विशेषज्ञों का मानना है कि संजीवनी योजना का ऐलान सीधे-सीधे आगामी 2025 विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर किया गया है। जहां एक ओर विपक्ष इसे “चुनावी स्टंट” कह रहा है, वहीं दूसरी ओर यह योजना आम आदमी पार्टी के मुफ्त सुविधाओं के मॉडल को और मजबूत करने का प्रयास है।
दिल्ली के स्वास्थ्य मॉडल ने अतीत में मोहल्ला क्लीनिक, मुफ्त दवाएं और जांच जैसी सेवाओं के जरिए चर्चा बटोरी है। लेकिन विपक्ष का दावा है कि इन सेवाओं का लाभ सभी नागरिकों तक नहीं पहुंच पा रहा है।
केजरीवाल की नई घोषणाएं: वादों की लंबी सूची
हाल ही में केजरीवाल ने दिल्ली की महिलाओं को हर महीने 2,100 रुपये देने का वादा भी किया था। लेकिन विपक्ष ने इसे भी झूठा और चुनावी वादा करार दिया।
हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि ‘संजीवनी योजना’ और अन्य वादे चुनावी समीकरणों पर कितना असर डालते हैं। दिल्ली की जनता के लिए यह फैसला करना महत्वपूर्ण होगा कि वे इन योजनाओं को मुफ्त सेवा मानते हैं या वोट पाने की रणनीति।
निष्कर्ष
‘संजीवनी योजना’ दिल्ली के वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है, बशर्ते इसे सही तरीके से लागू किया जाए। हालांकि, सरकार की आर्थिक स्थिति और इस योजना की व्यवहार्यता पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
दिल्ली के लोग चुनावों में फैसला करेंगे कि वे अरविंद केजरीवाल के इन वादों पर भरोसा करते हैं या नहीं। क्या यह वादा उन्हें फिर से सत्ता में लाने में मदद करेगा या विपक्ष के आरोप सही साबित होंगे? यह तो आने वाला समय ही बताएगा।